राग
कोई किसी के लिये नहीं रोता ।
रोते हैं, अपने राग के कारण ।
ज्ञानी के परिवारजनों का भी विछोह होता है, वह क्यों नहीं रोता ?
क्योंकि उसके राग कम होता है ।
आचार्य श्री विशुद्धसागर जी
कोई किसी के लिये नहीं रोता ।
रोते हैं, अपने राग के कारण ।
ज्ञानी के परिवारजनों का भी विछोह होता है, वह क्यों नहीं रोता ?
क्योंकि उसके राग कम होता है ।
आचार्य श्री विशुद्धसागर जी
One Response
व्यक्ति जैसे जैसे बडा होता जाता है वो सांसारिक चीजों को अपना मानने लगता है।
जब हम बच्चे होते हैं तो हम किसी भी चीज को अपना नहीं मानते हैं। हमको बच्चों जैसे निर्मल मन के बनने के लिए बडे होने के बाद न जाने क्या-क्या जतन करने पडते हैं।
ये सब होता है मोह के कारण क्योंकि हम जैसे जैसे बडे होते जाते हैं, हम चीजों पर अपना अधिकार जमाने लगते हैं और उनसे मोह करते हैं यही हमारे दुख का कारण है।