लोकांतिक देव

 

  1. जन्म, जरा और मरण से व्याप्त संसार लोक है । जिनका यह संसार समाप्त हो गया हो ।
  2. ब्रह्म लोक को लोक माना है, जो ब्रह्मलोक के अंत में रहते हैं ।

तत्वार्थ सुत्र टीका – पं. श्री कैलाशचंद्र जी

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