विनय
विनय यानि सामने वाले के अनुकूल प्रवृत्ति करना ।
ख़ुद से पूछें…
क्या हम बड़ों/ गुरु/ शास्त्र और भगवान की विनय करते हैं ?
मुनि श्री अविचलसागर जी
विनय यानि सामने वाले के अनुकूल प्रवृत्ति करना ।
ख़ुद से पूछें…
क्या हम बड़ों/ गुरु/ शास्त्र और भगवान की विनय करते हैं ?
मुनि श्री अविचलसागर जी
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विनय का मतलब पूज्य पुरुषों का आदर करना विनय तप कहते हैं अथवा रत्नत्रय को धारण करने वाले पुरुषों के प्रति नम़ता धारण करना विनय होता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि विनय यानी सामने वाले के अनुकूल प़वृति। अतः प़तेक को खुद से पूछना चाहिए कि हम लोग गुरु और भगवान् की विनय करते हैं ? यदि हम लोग विनय करते हैं तो जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।