विश्वास / श्रद्धा
भटके हुए पथिक को श्रद्धा साधु पर ही होगी।
वही रास्ता किसी गुंडे ने बताया हो पर उस पर नहीं होगी।
रास्ते पर आगे चल कर कोई परिचित भटका भी सकता है, स्थिरता तो अपने अनुभव से ही आयेगी।
क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी (शांतिपथ प्रदर्शक)
भटके हुए पथिक को श्रद्धा साधु पर ही होगी।
वही रास्ता किसी गुंडे ने बताया हो पर उस पर नहीं होगी।
रास्ते पर आगे चल कर कोई परिचित भटका भी सकता है, स्थिरता तो अपने अनुभव से ही आयेगी।
क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी (शांतिपथ प्रदर्शक)
One Response
श्री क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी जी ने विश्वास एवं श्रद्धा का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए गुरुओं पर श्रद्वान करना परम आवश्यक है ताकि उन पर विश्वास भी मिल सकता है।