श्रद्धा त्रैकालिक होती है, भगवान/गुरु पर।
विश्वास तात्कालिक, संसारियों पर।
(निधि)
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उपरोक्त कथन सत्य है कि श्रद्वा त्रैकालिक होती है,जो भगवान् एवं गुरुओं पर होती है, जबकि विश्वास तात्कालिक होती है,जो संसारियों में होती है। अतः जीवन में श्रद्वान भगवान् एवं गुरुओं के प़ति रहना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि श्रद्वा त्रैकालिक होती है,जो भगवान् एवं गुरुओं पर होती है, जबकि विश्वास तात्कालिक होती है,जो संसारियों में होती है। अतः जीवन में श्रद्वान भगवान् एवं गुरुओं के प़ति रहना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।