मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! जीवन में वैराग्य उसी को होता है जो उसकी भावना करता रहता है! Reply
महापुरुषों के पुण्यों की प्रमुखता रहती है। इसलिए वैराग्य के कारणों में सुखों की अधिकता रहती है। Reply
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! जीवन में वैराग्य उसी को होता है जो उसकी भावना करता रहता है!
Yeh bhi kaha jaata hai na ki sansaar ke dukhon ko dekh kar vairaagya hota hai ?
महापुरुषों के पुण्यों की प्रमुखता रहती है। इसलिए वैराग्य के कारणों में सुखों की अधिकता रहती है।
Okay.