वैराग्य / संसार
पुत्र के वैराग्य भावों से डरकर पिता ने उसे सुरा-सुंदरियों से घिरवा दिया। बेटे ने सन्यास न लेकर संसार ही चुना।
1. उसके जीवन का अंजाम क्या हुआ होगा !
2. क्या हमने अपने जीवन को ऐसे ही नहीं घेर रखा है !!
3. क्या हमको अपने बारे में सोचने का समय है !!
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
One Response
मुनि श्री क्षमासागर महाराज जी ने वैराग्य एवं संसार का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः श्रावकों को सोचना आवश्यक है कि संसार में रहना है अथवा वैराग्य धारण करना है! अतः जीवन का कल्याण करना हो तो वैराग्य का मार्ग का धारण करना परम आवश्यक है!