व्यंजन के 2 अर्थ हैं – 1. अव्यक्त… व्यंजनावग्रह में आता है। 2. व्यक्त…. व्यंजन पर्याय में आता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड-गाथा- 306/307) Reply
व्यंजनावग्रह जैसे गाने बजाती हुई तेजी से निकलती कार, कुछ सुना। बचपन/ युवा अवस्था, व्यंजनपर्याय हैं। Reply
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मुनि महाराज श्री प़णम्यसागर जी ने व्यंजन की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है!
‘व्यंजनावग्रह’ aur ‘व्यंजन पर्याय’ me ‘व्यंजन’ ka kya arth hai ?
व्यंजन के 2 अर्थ हैं –
1. अव्यक्त… व्यंजनावग्रह में आता है।
2. व्यक्त…. व्यंजन पर्याय में आता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड-गाथा- 306/307)
‘व्यंजनावग्रह’ aur ‘व्यंजन पर्याय’ ke examples kya hain ?
व्यंजनावग्रह जैसे गाने बजाती हुई तेजी से निकलती कार, कुछ सुना।
बचपन/ युवा अवस्था, व्यंजनपर्याय हैं।
Okay.