बोझ को स्वीकारते ही वह वज़न बन जाता है, बोझ नहीं लगता है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि बोझ को स्वीकारते ही वज़न बन जाता है लेकिन बोझ नहीं लगता है। अतः जीवन में कोई कष्ट, दुःख हो उसे स्वीकार कर लेना चाहिए ताकि वह बोझ नहीं लगेगा।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि बोझ को स्वीकारते ही वज़न बन जाता है लेकिन बोझ नहीं लगता है। अतः जीवन में कोई कष्ट, दुःख हो उसे स्वीकार कर लेना चाहिए ताकि वह बोझ नहीं लगेगा।