शब्द
शब्द पौदगलिक,
पुदगल से उत्पन्न (जिव्हा, कंठ आदि से),
पुदगल से ही बाधित ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
शब्द पौदगलिक,
पुदगल से उत्पन्न (जिव्हा, कंठ आदि से),
पुदगल से ही बाधित ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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पुदगल का मतलब जो पूरण और गलत स्वभाव वाला है वह पुदगल है। अथवा जिससे रुप,रस, गंध व स्पर्श ये चारों गुण पाए जाते हैं, इसके दो भेद हैं स्कंध व परमाणु।
अतः यह कथन सत्य है कि शब्द पौदागलिक होते हैं, पुदगल से उत्पन्न और बाधित शब्द होते हैं जैसे जिव्हा,कंठ आदि से होते हैं।