शास्त्र मित्रवत पर गुरु शत्रुवत व्यवहार करते दिखते हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहे गए सम्यग्दर्शन, ज्ञान और चारित्र रुप धर्म का प़तिवादन किया गया है उसे आगम शास्त्र कहते हैं। गुरु शब्द का अर्थ महान है,लोक में अध्यापक व माता-पिता और मोक्ष मार्ग में आचार्य ,उपाध्याय और साधु यह तीन गुरु होते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि शास्त्र मित्रवत होते हैं लेकिन गुरु शत्रुवत व्यवहार करते दिखते हैं। अतः कोई भी हो लौकिक और मोक्ष मार्ग वाले गुरु कड़ाई से ही व्यवहार करते हैं।
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जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहे गए सम्यग्दर्शन, ज्ञान और चारित्र रुप धर्म का प़तिवादन किया गया है उसे आगम शास्त्र कहते हैं। गुरु शब्द का अर्थ महान है,लोक में अध्यापक व माता-पिता और मोक्ष मार्ग में आचार्य ,उपाध्याय और साधु यह तीन गुरु होते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि शास्त्र मित्रवत होते हैं लेकिन गुरु शत्रुवत व्यवहार करते दिखते हैं। अतः कोई भी हो लौकिक और मोक्ष मार्ग वाले गुरु कड़ाई से ही व्यवहार करते हैं।