शास्त्राध्ययन

श्री ज्ञानार्णव ग्रंथानुसार – अक्षर-ज्योति से ज्ञान-ज्योति जलती है।
(सम्यग्)दर्शन के लिये शास्त्राध्ययन आवश्यक है।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. धर्म में सम्यग्दर्शन सम्यक्ज्ञान और सम्यग्चारित्र ही है। अतः दर्शन के बाद सम्यक्ज्ञान के लिए शास्त्राध्ययन का अभ्यास करना परम आवश्यक है ताकि अक्षर ज्योति से ज्ञान ज्योति जलती रहे।

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