शुभ – अशुभ योग
शुभ योग ज्ञानावरण आदि पापकर्मों के बंध में भी कारण है ।
‘शुभ पुण्यस्य’ अघातिया कर्मों की अपेक्षा कहा गया है यानि शुभ योग से, अघातिया कर्म शुभ ही बधेंगे ।
शुभ परिणामों से, शुभ प्रकृतियों का उत्कृष्ट अनुभाग और अशुभ घातिया का जघन्य अनुभाग बंध होता है ।
तत्वार्थ सुत्र टीका – पं. कैलाशचंद्र जी