शोक में भगवान को अशोक वृक्ष के नीचे बैठे ध्यान/चिंतन करें ।
उस वृक्ष का नाम ही अ-शोक है, ऐसा ध्यान करने से शोक दूर होगा न !
मुनि श्री सुधासागर जी
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शोक का मतलब उपकार करने वाले से संबंध छूट जाने पर चित्त में विकलता होती है। जीवन में हर जीव को होती है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जब शोक हो तो भगवान का शान्ती से नीचे बैठकर ध्यान व चिंतन करना आवश्यक है। जिस वृक्ष का नाम ही अ-शोक है उससे शोक अवश्य दूर होगा। अतः जीवन में शोक होने पर ध्यान व चिंतन करना परम आवश्यक है ताकि शोक मिट सकता है।
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शोक का मतलब उपकार करने वाले से संबंध छूट जाने पर चित्त में विकलता होती है। जीवन में हर जीव को होती है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जब शोक हो तो भगवान का शान्ती से नीचे बैठकर ध्यान व चिंतन करना आवश्यक है। जिस वृक्ष का नाम ही अ-शोक है उससे शोक अवश्य दूर होगा। अतः जीवन में शोक होने पर ध्यान व चिंतन करना परम आवश्यक है ताकि शोक मिट सकता है।