श्रुत के भेद
1) अर्थाक्षर, पद….पूर्व आदि 9 भेद।
1, 1, अक्षर वृद्धि से अक्षर-समासादि 9 भेद।
कुल 18 भेद – द्रव्य श्रुत शास्त्र रूप (अक्षरात्मक ज्ञान) के।
2) इसमें पर्याय तथा पर्याय समास (अनक्षर ज्ञान – 2 प्रकार) मिलाने से कुल 20 भेद –
भाव श्रुत के/ ज्ञान रूप श्रुत के हुए।
3) ग्रंथ श्रुत – 12 प्रकार के (12 अंग रूप)
या 14 प्रकार (14 पूर्व)।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड- गाथा – 348, 349)
One Response
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने श्रुत के भेद का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।