पंचमकाल के मुनि तो देव बनेंगे, तो क्या संयम का फल असंयम?
संयम का फल….
1. वर्तमान के मुनि पद का आनंद
2. पापों से निवृत्ति
3. मोक्षमार्ग जीवित रखने में सहायक
मुनि श्री सुधासागर जी
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संयम धर्म का तात्पर्य वृत व समिति का पालन करना, मन वचन काय के द्वारा अशुभ प़वति का त्याग करना तथा इन्द़ियों को वश में रखना ही। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि संयम के फल से, वर्तमान मुनि का आनंद, पापों से निवृती, एवं मोक्ष मार्ग को जीवंत रखने में सहायक है। अतः जीवन में संयम रखने वाले का ही कल्याण हो सकता है।
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संयम धर्म का तात्पर्य वृत व समिति का पालन करना, मन वचन काय के द्वारा अशुभ प़वति का त्याग करना तथा इन्द़ियों को वश में रखना ही। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि संयम के फल से, वर्तमान मुनि का आनंद, पापों से निवृती, एवं मोक्ष मार्ग को जीवंत रखने में सहायक है। अतः जीवन में संयम रखने वाले का ही कल्याण हो सकता है।