संयम / तप
संयम तप
- अशुभ की ओर जाने से रोकना ***** शुभ की ओर से भी
- कपूत/ बेईमानी का त्याग *******सपूत/ ईमानदारी की कमाई का भी
- स्वर्ग ले जायेगा ********** मोक्ष
- शुभ कर्म–बंध ********** कर्म बंद(समाप्त)
(जब तक छोड़ नहीं सकते कम करें)
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने संयम एवं तप को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए हर क्षेत्र में संयम रखना परम आवश्यक है।