संयम बाड़ है, पापों को रोकने के लिये ।
तप अग्नि है, उन्हें जलाने के लिये,
पर पुण्य सबसे अंतिम समय में जलते हैं ।
चिंतन
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One Response
जीवन के कल्याण के लिए संयम और तप का महत्वपूर्ण योगदान है।संयम-व़त व समिति का पालन करना, मन वचन काय की अशुभ प़वृति का त्याग करना तथा इन्दियों को वश में रखना होता है।
तप—इच्छायों का निरोध करना होता है जिससे कर्मो की निर्जरा होती है।
अतः संयम बाड़ है, पापो को रोकने लिये है।तप अग्नि का कार्य है, पापो को जलाने में मदद करती है।
यह भी सही है कि पुण्य अंतिम समय समय में जलते है।अतः जीवन के कल्याण के लिए संयम और तप का पालन करना आवश्यक है।
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जीवन के कल्याण के लिए संयम और तप का महत्वपूर्ण योगदान है।संयम-व़त व समिति का पालन करना, मन वचन काय की अशुभ प़वृति का त्याग करना तथा इन्दियों को वश में रखना होता है।
तप—इच्छायों का निरोध करना होता है जिससे कर्मो की निर्जरा होती है।
अतः संयम बाड़ है, पापो को रोकने लिये है।तप अग्नि का कार्य है, पापो को जलाने में मदद करती है।
यह भी सही है कि पुण्य अंतिम समय समय में जलते है।अतः जीवन के कल्याण के लिए संयम और तप का पालन करना आवश्यक है।