संवर

भाव संवर के 62 भेद –

5 व्रत, 5 समिति, 3 गुप्ति, 10 धर्म, 12 अनुप्रेक्षा, 22 परिषह जय और 5 चरित्र ।
विशुद्ध परिणामों से कर्मों का आश्रव रूकता है, यह भाव संवर है ।

कर्मों का आगमन रूक जाना, द्रव्यसंवर है ।

द्रव्य संग्रह – 35

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