संवेदनशीलता

क्षायिक सम्यग्दृष्टि वज्र जैसा कठोर होता है पर उसमें से भी पानी निकलने लगता है।
जैसे भरत चक्रवर्ती आदिनाथ भगवान के मोक्ष जाने पर रो पडे थे, कि अब भगवान कभी नहीं मिलेंगे/मुझे दिशा निर्देश कहाँ से मिलेंगे!

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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One Response

  1. आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने संवेदनशीलता का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में प़त्येक श्रावक को संवेदनशील होना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!

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