संवेदना

संस्मरण…
मेरे आँगन में एक अमरूद का पेड़ है।
अचानक उसमें से गंदा-गंदा रस टपकने लगा। दवायें प्रयोग की गयीं पर लाभ नहीं हुआ। तब मैंने प्यार से उस पेड़ पर हाथ फेर कर प्रार्थना की। अगले दिन से आँगन साफ रहने लगा। अब मैं रोज उस पेड़ को प्यार करती हूँ।

परवीन- ग्वालियर

Share this on...

2 Responses

  1. संवेदना का जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! जैन धर्म में संवेदनशील होने की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, अतः जीवन का कल्याण करना है तो हृदय संवेदनशील होना परम आवश्यक है!

  2. आंसू हैं नयनों में,
    दवा न करती काम।
    थपकी केवल प्यार की,
    आंसू देगी थाम।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

May 24, 2023

June 2024
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
24252627282930