जहाँ दर्द ज्यादा, हमदर्द कम हों – उसे संसार कहते हैं ।
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संसार का मतलब संसरण या आवागमन करने को कहते हैं,जिसका अर्थ परिभ्रमण या परिवर्तन है, अथवा कर्म के फलस्वरूप आत्मा को भवान्तर की प्राप्ति होना संसार है,यह चार गतियों में परिभ्रमण करता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जहाँ दर्द ज्यादा और हमदर्द कम हो उसे ही संसार कहते हैं।
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संसार का मतलब संसरण या आवागमन करने को कहते हैं,जिसका अर्थ परिभ्रमण या परिवर्तन है, अथवा कर्म के फलस्वरूप आत्मा को भवान्तर की प्राप्ति होना संसार है,यह चार गतियों में परिभ्रमण करता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जहाँ दर्द ज्यादा और हमदर्द कम हो उसे ही संसार कहते हैं।