“संसार” में – छोटे “स” से बड़ा “सा” बन जाता है यानि संसार बढ़ता ही जाता है।
संयम यानि सं+यम – “स” से संयम/ सावधानी, वो भी “यम” यानि जीवन पर्यंत की। इससे संसार घटता ही जाता है।
चिंतन
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2 Responses
उपरोक्त कथन सत्य है कि संसार में छोटे स से बडा सा बन जाता है यानी संसार बढता जाता है! संयम यानी स से संयम, सावधानी हो तो यम यानी जीवन पर्यंत हो! अतः जीवन का कल्याण करना है तो संसार बढाने की जगह संयम रखना परम आवश्यक है!
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उपरोक्त कथन सत्य है कि संसार में छोटे स से बडा सा बन जाता है यानी संसार बढता जाता है! संयम यानी स से संयम, सावधानी हो तो यम यानी जीवन पर्यंत हो! अतः जीवन का कल्याण करना है तो संसार बढाने की जगह संयम रखना परम आवश्यक है!
Beautiful post !