संसार – संयोग संबंध बनाना/सच्चा मानना,
मोक्ष – संयोग संबंध छोड़ना/झूठा मानना ।
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संसार—ससंरण या आवागमन करने को कहते हैं।जिसका अर्थ कर्म के फलस्वरूप आत्मा को भवान्तर की प़ाप्ति होना संसार है।जबकि मोक्ष समस्त कर्मो से रहित आत्मा की विशुद्व अवस्था के नाम को कहते हैं।अतः संसार में संयोग संबंध बनाना, सच्चा मानना कहलाता है, जबकि मोक्ष में संयोग संबंध छोड़ना और झूठा मानना ही होता है।
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संसार—ससंरण या आवागमन करने को कहते हैं।जिसका अर्थ कर्म के फलस्वरूप आत्मा को भवान्तर की प़ाप्ति होना संसार है।जबकि मोक्ष समस्त कर्मो से रहित आत्मा की विशुद्व अवस्था के नाम को कहते हैं।अतः संसार में संयोग संबंध बनाना, सच्चा मानना कहलाता है, जबकि मोक्ष में संयोग संबंध छोड़ना और झूठा मानना ही होता है।