कामनाओं का कलश ऊपर से सोने सा दमकता है, सुराख़ उसमें कहीं नीचे पैंदी में होता है | तभी तो चाहे उसे कोई कितना भी भरे, वह सदा अतृप्त रहता है | – गुरूवर मुनि श्री क्षमासागर जी Reply
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कामनाओं का कलश ऊपर से सोने सा दमकता है,
सुराख़ उसमें कहीं नीचे पैंदी में होता है |
तभी तो चाहे उसे कोई कितना भी भरे,
वह सदा अतृप्त रहता है |
– गुरूवर मुनि श्री क्षमासागर जी