विकृति को परिष्कृत करना संस्कृति है,
जैसे पत्थर से विकृति निकालने से वह भगवान बन जाता है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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यह कथन सत्य है कि पत्थर से विकृति निकालने से वह भगवान् बन जाते हैं अतः उसी तरह विकृति को परिष्कृत करना ही संस्कृति है।अतः जीवन में विकृतियों को निकालना परम आवश्यक है जिससे जीवन का कल्याण हो सकता है।
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यह कथन सत्य है कि पत्थर से विकृति निकालने से वह भगवान् बन जाते हैं अतः उसी तरह विकृति को परिष्कृत करना ही संस्कृति है।अतः जीवन में विकृतियों को निकालना परम आवश्यक है जिससे जीवन का कल्याण हो सकता है।