हीन-संहनन वाला मोक्ष ना जाये पर मोक्षमार्गी तो बन सकता है,
पर हीन-भावना वाला तो सम्यग्दर्शन भी प्राप्त नहीं कर सकता है ।
मुनि श्री विनिश्चयसागर जी
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संहनन हड्डियों के जोडों को कहते है।यह कथन सत्य है कि हीन-संहनन वाला मोक्ष भले न जावे पर मोक्षमार्गी बन सकता है।
हीन-भावना वाला सम्यग्दर्शन भी प़ाप्त नहीं कर सकता है।जैन धर्म में भावना का ही महत्वपूर्ण स्थान है।जिसकी जो भावना होती है, उसी अनुसार परिणाम मिलता है।
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संहनन हड्डियों के जोडों को कहते है।यह कथन सत्य है कि हीन-संहनन वाला मोक्ष भले न जावे पर मोक्षमार्गी बन सकता है।
हीन-भावना वाला सम्यग्दर्शन भी प़ाप्त नहीं कर सकता है।जैन धर्म में भावना का ही महत्वपूर्ण स्थान है।जिसकी जो भावना होती है, उसी अनुसार परिणाम मिलता है।