सकारात्मकता

नज़रिया ऐसा हो कि दरिया (नकारत्मकता) में ज़रिया (सकारात्मकता) दिखे ।

यश-बड़वानी

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One Response

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि नज़रिया ऐसा होना चाहिए कि नकारात्मता में भी सकारात्मकता हो । नकारात्मक सोच जीवन को बर्बाद करता है, जबकि सकारात्मक सोच जीवन को ऊंचा उठाने में मददगार होता है। जीवन में सकारात्मक बदलाव ही जीवन का कल्याण कर सकता हैं।

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