सच बढ़े या घटे, तो सच न रहे;
झूठ की कोई इंतहा ही नहीं ।
श्री कृष्ण विहारी नूर (अरविंद)
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उपरोक्त कथन सत्य है कि झूठ की सीमा नहीं होती है, सच बढ़े या घटे तो सत्य नहीं रह सकता है क्योंकि सत्य अटल होता है। जो जीवन में सत्य का महत्व रखते हैं वही कल्याण कर सकते हैं।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि झूठ की सीमा नहीं होती है, सच बढ़े या घटे तो सत्य नहीं रह सकता है क्योंकि सत्य अटल होता है। जो जीवन में सत्य का महत्व रखते हैं वही कल्याण कर सकते हैं।
Isse limits(sanyam) ka bhi mahatv pramnit hota hai as, satya bhi “maryadit” hai !