सज़ावट
दीपावली के अवसर पर घरों के बाहर ख़ूब सजावटें की गयीं,
घरों के अंदर बस एक/ दो कागज़ के फूलों की माला !
बाहर की सज़ावटों को तो घर वाले यदाकदा देखते हैं और बाहर वाले तो यदाकदा ही आते हैं । यदि हमारी सज़ावटें उनकी सज़ावटों से कम हुईं तो उनको घमंड और हमको हीनता के भावों में कारण बन जातीं हैं, उनसे अच्छी हुईं तो हमको घमंड और उनको हीन भाव ।
अतः जीवन को अंदर से सज़ाना ज़्यादा महत्वपूर्ण है ।
चिंतन
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अहंकार या घमंड जीवन की बहुत बड़ी दुर्बलता है, जिससे जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि बाहर की सजावट से अपने को घमंड और हीन भाव होता है, अतः उचित होगा कि जीवन को अंदर से सजाओ। अपने अंदर की स्वाभाविक सजावट होनी चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।