सत्य
3 प्रकार के –
1. परमात्म सत्य – जो परमात्मा को जानता है
2. आत्म सत्य – जो आत्मा को जानता है
3. संसार सत्य – जो संसार को जानता है
मुनि श्री सुधासागर जी
3 प्रकार के –
1. परमात्म सत्य – जो परमात्मा को जानता है
2. आत्म सत्य – जो आत्मा को जानता है
3. संसार सत्य – जो संसार को जानता है
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
सत्य का तात्पर्य आगम के अनुसार बोलना होता है,या राग द्वेष या मोह से प्रेरित सब प़कार के झूठ सुनने का त्याग करना होता है,यह सबसे बड़ा सत्य महाव्रत है।
अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है, इसमें परमात्मा सत्य,आत्म सत्य, संसार सत्य है। जीवन में सत्य महावत का पालन करना अनिवार्य है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।