सामान्य-केवली समवसरण से मोक्ष जा सकते हैं, क्योंकि गणधर तीर्थंकर से पहले भी मोक्ष गये हैं और वे समवसरण कभी छोड़ते नहीं हैं ।
तीर्थंकर नियम से समवसरण से मोक्ष नहीं जाते हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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समवशरण- -तीर्थंकर की धर्म सभा को कहते हैं, यहां स्त्री, पुरुष,पशु पक्षी और देवी देवता समान भाव से भगवान् का उपदेश सुनते हैं, यहां सभी भव्य जीव तीर्थंकर की दिव्यध्वनि के अवसर की प्रतीक्षा करते हैं। गणधर का मतलब जो तीर्थंकर के पादमूल में भगवान की दिव्य धुनी धारण करने में समर्थ होते हैं,ये तदभव मोक्षगामी होते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि सामान्य केवली समवशरण से मोक्ष जा सकते हैं, क्योंकि गणधर तीर्थंकर से पहले भी मोक्ष गये हैं और वह समवशरण कभी छोड़ते नहीं हैं और तीर्थंकर नियम से समवसरण से मोक्ष नहीं जाते हैं।
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समवशरण- -तीर्थंकर की धर्म सभा को कहते हैं, यहां स्त्री, पुरुष,पशु पक्षी और देवी देवता समान भाव से भगवान् का उपदेश सुनते हैं, यहां सभी भव्य जीव तीर्थंकर की दिव्यध्वनि के अवसर की प्रतीक्षा करते हैं। गणधर का मतलब जो तीर्थंकर के पादमूल में भगवान की दिव्य धुनी धारण करने में समर्थ होते हैं,ये तदभव मोक्षगामी होते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि सामान्य केवली समवशरण से मोक्ष जा सकते हैं, क्योंकि गणधर तीर्थंकर से पहले भी मोक्ष गये हैं और वह समवशरण कभी छोड़ते नहीं हैं और तीर्थंकर नियम से समवसरण से मोक्ष नहीं जाते हैं।