सम्यग्दर्शन जब भी प्रकट होगा तब प्रशम आदि चारों गुणों से होगा, आत्मचिंतन से नहीं, 7 तत्त्वों पर विश्वास से होगा।
वीतराग-सम्यग्दर्शन आत्मा को आधार बना कर होता है, पर उसके लिये वीतराग चारित्र आवश्यक है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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सम्यग्दर्शन का तात्पर्य सच्चे देश शास्त्र और गुरु के प़ति श्रद्वान रखना अथवा जिनेन्द़ भगवान् के द्वारा बताए गए सात तत्वों पर श्रद्वान करना होता है।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में सम्यग्दर्शन पर श्रद्वान रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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सम्यग्दर्शन का तात्पर्य सच्चे देश शास्त्र और गुरु के प़ति श्रद्वान रखना अथवा जिनेन्द़ भगवान् के द्वारा बताए गए सात तत्वों पर श्रद्वान करना होता है।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में सम्यग्दर्शन पर श्रद्वान रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।