अनुत्तर, अनुदिश तथा ग्रैवेयिक के देव मरण के बाद जघन्य ,आठ वर्ष + अंतर्मुहूर्त की आयु पाते हैं ।
इस दौरान कदलीघात नहीं होता ।
इससे कम आयु को अल्पायु कहते हैं । सम्यग्दृष्टि जीव के अल्पायु नहीं होती है ।
पं.रतनलाल बैनाड़ा जी
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