प्रभु का रास्ता बड़ा सीधा है और बड़ा उलझा भी….
बुद्धि से चलो तो बहुत उलझा और भक्ति से चलो तो बड़ा सीधा…
विचार से चलो तो बहुत दूर और भाव से चलो तो बहुत पास…
नज़रों से देखो तो कण-कण में और अंतर्मन से देखो तो जन-जन में..
(सुरेश)
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One Response
जीवन में द्वष्टि का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि प़भु का रास्ता बहुत सीधा है और बडा उलझा भी होता है। इसमें यदि बुद्धि से चलोगे तो उलझा होगा, यदि भक्ति से चलो तो बहुत सीधा होगा। विचार से चलोगे तो बहुत दूर होगा और यदि भाव से चलोगे तो बहुत पास होगा
इसी प्रकार नज़रों से देखो तो कण कण में होगा और अंर्तमन से देखो तो जन जन में होग। अतः बुद्धि, विचार और नज़र यह तीनों हमेशा उलझाने का काम करते हैं, जबकि भक्ति, भाव और अंतर्मन का हमेशा वास्तविक रुप होता है।
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जीवन में द्वष्टि का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि प़भु का रास्ता बहुत सीधा है और बडा उलझा भी होता है। इसमें यदि बुद्धि से चलोगे तो उलझा होगा, यदि भक्ति से चलो तो बहुत सीधा होगा। विचार से चलोगे तो बहुत दूर होगा और यदि भाव से चलोगे तो बहुत पास होगा
इसी प्रकार नज़रों से देखो तो कण कण में होगा और अंर्तमन से देखो तो जन जन में होग। अतः बुद्धि, विचार और नज़र यह तीनों हमेशा उलझाने का काम करते हैं, जबकि भक्ति, भाव और अंतर्मन का हमेशा वास्तविक रुप होता है।