साम्परायिक आश्रव
साम्परायिक आश्रव में 5 इंद्रिय, 4 कषाय, 5 अव्रत और 25 क्रियायें ली हैं ।
जब इंद्रिय ले लीं और उनके द्वारा ही कषाय, अव्रत और क्रियाओं में जीव प्रवृत्त होता है, तो कषाय, अव्रत और क्रियाओं को यहाँ लेने की क्या ज़रूरत थी ?
इंद्रिय के अभाव में भी आश्रव होता है । अप्रमत्त के प्रमाद रहित अवस्था में तथा एकेन्द्रिय से असंज्ञी पंचेन्द्रिय तक इंद्रिय और मन के अभाव में भी आश्रव तो होता ही है ।
तत्वार्थ सुत्र टीका – पं. कैलाशचंद्र जी