धर्म/संप्रदाय तो अलग अलग होंगे ही, क्योंकि विश्वास/संस्कार सबके अलग अलग होते हैं, उनको ऊपर उठाने में आपत्ति नहीं ।
पर दूसरे धर्मों को गिराना साम्प्रदायिकता है, अपराध है ।
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One Response
यह कथन बिलकुल सही है – –
आजकल, धर्म ने साम्प्रदायिक रुप ले लिया है, जो कि गलत है । अपना अपना धर्म आस्था का केंद्र है, धर्म-परिवर्तन का प्रयास नहीं करना चाहिए ।
विश्वास एवम् संस्कार, अपने अपने, अलग अलग रहते हैं, लेकिन इसको थोपने का अधिकार नहीं है ।
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यह कथन बिलकुल सही है – –
आजकल, धर्म ने साम्प्रदायिक रुप ले लिया है, जो कि गलत है । अपना अपना धर्म आस्था का केंद्र है, धर्म-परिवर्तन का प्रयास नहीं करना चाहिए ।
विश्वास एवम् संस्कार, अपने अपने, अलग अलग रहते हैं, लेकिन इसको थोपने का अधिकार नहीं है ।