रस्सी बुनने वाला ज़िंदगी भर रस्सी बुनता रहता है पर रस्सी का कभी अंत/छोर नहीं आता, क्योंकि वह लगातार जूट के टुकड़े लगाता जाता है।
हमारे कर्मों का सिलसिला भी ऐसा ही है – Non Ending, क्योंकि हम भी कर्म जोड़ते चले जाते हैं।
चिंतन
Share this on...
2 Responses
उपरोक्त कथन सत्य है कि रस्सी बुनने वाला जिंदगी भर बुनता रहता है लेकिन उसका अंत या छोर नहीं मिलता है।इसी प्रकार मनुष्य जिंदगी भर कर्म करता है,यह सिलसिला चलता रहता है,जिसका कोई अंत नहीं होता है। हम इसी प्रकार कर्मों को जोड़ते रहते हैं। अतः उचित होगा कि जो कर्म करते हैं वह ठीक होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
2 Responses
उपरोक्त कथन सत्य है कि रस्सी बुनने वाला जिंदगी भर बुनता रहता है लेकिन उसका अंत या छोर नहीं मिलता है।इसी प्रकार मनुष्य जिंदगी भर कर्म करता है,यह सिलसिला चलता रहता है,जिसका कोई अंत नहीं होता है। हम इसी प्रकार कर्मों को जोड़ते रहते हैं। अतः उचित होगा कि जो कर्म करते हैं वह ठीक होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
Bilkul sahi, par vidambana to yeh hai, ki yeh maalum hone par bhi, humare vyavhaar par koi effect nahi hota ?