सुख-दुःख-जीवित मरणोपग्रहाश्च
ऊपर के सूत्र में…“च” के लिए आचार्य अकलंक देव कहते हैं –> धर्म, अधर्म आदि दूसरों पर ही उपकार करते हैं लेकिन पुद्गल खुद पर भी तथा अन्य पर भी जैसे औषधि शरीर पर भी तथा जीव पर भी।
“च” के बहुत ज्यादा चाचा हैं (बहुत अर्थ हैं)।
यहाँ “च” ऊपर से differentiate करने के लिये भी प्रयोग किया है (पुद्गल के लिये यह सूत्र, अगला 5/21 जीव के लिये)।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र – 5/20-21)
3 Responses
‘औषधि’, ‘जीव’ पर kaise upkaar karta hai ? Ise clarify karenge, please ?
औषधि लेने से शरीर ठीक होगा और शरीर में जब साता होगी तो आत्मा में भी साता होगी।
Okay.