प्रत्येक भावना अविनाभावी हैं (जैसे Cube की 6 Sides या Globe में दिशायें)।
श्री चारित्रसार
एक-एक भावना से भी तीर्थंकर प्रकृति बंध सकती है।
श्री धवला जी – टीका
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4 Responses
सोलाहकारण भावना जैन धर्म में महत्वपूर्ण भूमिका रही है! उपरोक्त कथन सत्य है कि एक एक भावना से भी तीर्थंकर प़कृति बंध सकती है! अतः जीवन के लिए कल्याण के लिए उपरोक्त भावनाओं को ह्दय में हमेशा रहना चाहिए!
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सोलाहकारण भावना जैन धर्म में महत्वपूर्ण भूमिका रही है! उपरोक्त कथन सत्य है कि एक एक भावना से भी तीर्थंकर प़कृति बंध सकती है! अतः जीवन के लिए कल्याण के लिए उपरोक्त भावनाओं को ह्दय में हमेशा रहना चाहिए!
‘अविनाभावी’ ka kya meaning hai, please ?
वे गुण जो कभी गुणी से अलग न हों।
Okay.