सौधर्म स्वर्ग ईशान से बड़ा है, इसीलिये सौधर्म इंद्र का विमान पूरे अढ़ाई द्वीप के ऊपर है ।
देवियों की शय्यायें भी सौधर्म स्वर्ग में 6 लाख जबकि ईशान में 4 लाख ही होती हैं ।
श्री हरवंश पुराण
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इन्द़—-आज्ञा और ऐश्वर्य से युक्त देवों के स्वामी को कहते हैं, देवों में इन्द़, राजा के समान होते हैं।
स्वर्ग—-उध्वर्वलोक में रहने वाले वैमानिक देवों के निवास स्थान को कहते हैं।सौधर्म इन्द़ ईशान से बड़े होते हैं, अतः सौधर्म इन्द़ का विमान पूरे अढ़ाई द्वीप के ऊपर रहता है। इसी प्रकार देवियों की शय्यायें भी उसी प्रकार रहती है।
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इन्द़—-आज्ञा और ऐश्वर्य से युक्त देवों के स्वामी को कहते हैं, देवों में इन्द़, राजा के समान होते हैं।
स्वर्ग—-उध्वर्वलोक में रहने वाले वैमानिक देवों के निवास स्थान को कहते हैं।सौधर्म इन्द़ ईशान से बड़े होते हैं, अतः सौधर्म इन्द़ का विमान पूरे अढ़ाई द्वीप के ऊपर रहता है। इसी प्रकार देवियों की शय्यायें भी उसी प्रकार रहती है।