स्व/ पर/ परम
आचार्य श्री विद्यासागर जी कहते थे –
“स्व” को साफ करो,
“पर” को माफ करो,
“परम” को याद करो।
आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी
आचार्य श्री विद्यासागर जी कहते थे –
“स्व” को साफ करो,
“पर” को माफ करो,
“परम” को याद करो।
आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी
2 Responses
आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने स्व, पर, परम को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए परम को याद करना परम आवश्यक है।
Bahut hi sundar saral shabdon me acharya shri ne jeevan ka saar bata diya ! Namostu Gurudev !