स्वभाव
ज़िन्दगी में खुद को कभी किसी इंसान का आदी मत बनाना…
क्यूंकि, इंसान बहुत खुदगर्ज़ है…
जब आपको पसंद करता है , आपकी बुराई भूल जाता है ;
और जब आपसे नफ़रत करता है , तो आपकी अच्छाई भूल जाता है…
(ड़ा. अमित)
ज़िन्दगी में खुद को कभी किसी इंसान का आदी मत बनाना…
क्यूंकि, इंसान बहुत खुदगर्ज़ है…
जब आपको पसंद करता है , आपकी बुराई भूल जाता है ;
और जब आपसे नफ़रत करता है , तो आपकी अच्छाई भूल जाता है…
(ड़ा. अमित)
4 Responses
What about making “aadi” of myself, I m also an “insaan”!
इसीलिये शरीर को भी “पर”/”बदमाश” कहा है,
इसकी भी आदत नहीं डालनी है ।
Good.
Suresh Chandra Jain
It is very true ,We should not become habitual of any activity /aadmi.