स्वभाव –
1) प्रेम/दया आदि राग सहित होता है।
2) निर्विकार/वीतराग – राग रहित होता है। विकार – आकर्षक चीजों के प्रति स्वामित्व भाव आना।
चिंतन
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उपरोक्त कथन सत्य है कि स्वभाव… प़ेम,दया आदि राग सहित होता है, इसके अतिरिक्त निर्विकार या वीतराग राग रहित होता है। इसमें प़थम स्वभाव संसार बढ़ाने वाला होता है जबकि भगवान्, गुरुओं से राग रखना जीवन का कल्याण होता है।
विकार का तात्पर्य आकर्षक चीज़ों के प्रति स्वामित्व भाव आना। अतः जीवन विकार रहित होना चाहिए ताकि अपना कल्याण कर सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि स्वभाव… प़ेम,दया आदि राग सहित होता है, इसके अतिरिक्त निर्विकार या वीतराग राग रहित होता है। इसमें प़थम स्वभाव संसार बढ़ाने वाला होता है जबकि भगवान्, गुरुओं से राग रखना जीवन का कल्याण होता है।
विकार का तात्पर्य आकर्षक चीज़ों के प्रति स्वामित्व भाव आना। अतः जीवन विकार रहित होना चाहिए ताकि अपना कल्याण कर सकता है।