द्रव्य-संग्रह, रत्नकरंड श्रावकाचार तथा तत्त्वार्थ-सूत्र; ये तीन हो जाते हैं तो लगभग आप “शास्त्री” बन जाते हैं ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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स्वाध्याय का मतलब भगवान् के द्वारा दिए गए कथन का अध्ययन करना होता है।
अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि शास्त्री बनने के लिए द़व्य संग्रह,रत्नकरंड श्रावकाचार तथा तत्त्वार्थ सूत्र यह तीन मिल जाते हैं तभी शास्त्री बनने के पात्र हो सकते हैं।
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स्वाध्याय का मतलब भगवान् के द्वारा दिए गए कथन का अध्ययन करना होता है।
अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि शास्त्री बनने के लिए द़व्य संग्रह,रत्नकरंड श्रावकाचार तथा तत्त्वार्थ सूत्र यह तीन मिल जाते हैं तभी शास्त्री बनने के पात्र हो सकते हैं।