स्वाहा

परमार्थ में – अच्छे से (अच्छे उद्देश्य के लिये) समर्पित करना ।
संसार में – तबाह करना ।

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One Response

  1. स्वाहा- -यह शान्ती वाचक बीजाक्षर है। पूजा में द़व्य चढ़ाते समय इसका प़योग किया जाता है। उक्त द़व्य भगवान् के चरणों में अर्पित करते हैं उसको निर्माल्य कहते हैं लेकिन जो इस निर्माल्य को ग़हण करते हैं वह नरक गामी होते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि परमार्थ में अच्छे उद्देश्य के लिए समर्पित करना होता है लेकिन संसार में जो उपयोग करते हैं वह तबाह का कारण होता है।

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