अनमोल रिश्ते
एक बार संख्या 9 ने 8 को थप्पड़ मारा ,
8 रोने लगा…
पूछा मुझे क्यों मारा..?
9 बोला…
मैं बड़ा हूँ, इसीलिये मारा ।
सुनते ही 8 ने 7 को मारा
और 9 वाली बात दोहरा दी ।
7 ने 6 को..
6 ने 5 को…..
अंत में 2 ने 1 को ।
अब 1 किसको मारे ?
1 के नीचे तो 0 था !
1 ने उसे मारा नहीं,
बल्कि प्यार से उठाया
और उसे अपनी बगल में बैठा लिया ।
जैसे ही बैठाया…
उसकी ताक़त 10 हो गयी !
और 9 की हालत खराब हो गई ।
ज़िंदगी में किसी का साथ ही काफ़ी है,
कंधे पर किसी का हाथ ही काफ़ी है ।
(सुरेश)
2 Responses
9 ne chahe mara ho lekin 10 ke saame dar gaya..ahankar kabhi na kabhi to jukta hi hain,,
A very sweet story. An excellent example for showing that we can never prove our strength by asserting ourselves on people who are subordinate to us.
Rather, our real bravery lies in treating the weak with utmost respect and giving them an opportunity to be like us.Just imagine, If our “Teerthankars” had not shown us the way of attaining “moksh”,we would have always remained in misery , but they also treated us(inferior beings) with respect and took everybody along.