अनुरूप चाहना/बनाना

अनुरूप चाहने में बुराई नहीं पर हरेक को/ हर घटना को अपने अनुरूप बनाना, गलत सोच/ दु:ख का कारण है।
हर व्यक्ति अपने-अपने स्वभाव से चलता है/ घटनायें नियति के अनुसार घटित/ नियंत्रित होती है।
व्यापक दृष्टि से देखने से सहज भाव आता है।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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One Response

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि अनुरुप चाहने में बुराई नहीं है पर हरेक कोई या हर घटना अपने अनुरूप बनाना,यह ग़लत सोच एवं दुःख का कारण होता है। प़त्येक जीव के अपने अपने स्वाभाव है घटनाएं स्थित,नियत के अनुसार घटित एवं नियंत्रण होती हैं। अतः किसी को अपने अनुरूप बनाने का प्रयास नहीं करना चाहिए बल्कि उसको समता एवं सहजता से स्वीकार कर लेना होता ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

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