अपर्याप्तक
अपर्याप्तक अवस्था तो सबके होती है तो क्या सबके पाप प्रकॄति होगी ?
अपर्याप्तक अवस्था दो प्रकार की होती है।
1. – लब्धि अपर्याप्तक – पाप प्रकृति – ( अपर्याप्त नामकर्म के उदय से )
2. – निवृत्ति अपर्याप्तक – पुण्य प्रकृति- ( पर्याप्त नामकर्म के उदय से )
पं. रतनलाल बैनाडा जी