अभीक्ष्ण-ज्ञानोपयोग

जो संवर का आदर तथा निर्जरा की इच्छा करता है, वह आत्मरसिक अभीक्ष्ण-ज्ञानोपयोग को जानता/ उसके निकट रहता है।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तिथ्य भा.– गाथा– 26)

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4 Responses

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने अभीक्षण ज्ञानोपयोग को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है ।

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